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नेतृत्व और प्रशासन

किरण बेदी

प्रकाशक : फ्यूजन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :181
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6363
आईएसबीएन :81-8419-335-1

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हर लेख को मैंने अपना दिल तथा दिमाग एक करके लिखा। ऐसा करने के बाद मैंने ऐसे पंछी की तरह महसूस किया जो उड़ने के लिए स्वतंत्र हो।

Netrattva aur Prashasan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नेतृत्व और प्रशासन जैसा मैंने देखा.....


किरण बेदी एक संवेदनशील पुलिस अधिकारी हैं। उन्होंने खाकी वर्दी को नयी गरिमा प्रदान की है। समाज में गैर–बराबरी, अन्याय और जुल्म उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं होते। ‘जैसा मैंने देखा’ संकलन में उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को आधार बनाकर यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि कारगर और प्रभावशाली हस्तक्षेप व्यवस्था और सामाजिक कुरीतियों के शिकार और खासकर महिलाओं को उनका हक दिलवाया जा सकता है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने को प्रेरित किया जा सकता है। एक बार पढ़ना शुरू करने पर आप इसे छोड़ नहीं पाएंगे।

यह पुस्तक क्यों


जैसा मैंने देखा, सुना तथा महसूस किया उस पर मेरी क्या प्रतिक्रिया होती ?—चाहती तो नजरअंदाज कर सकती थी, टाल सकती थी या उस पर अपनी बात कह सकती थी। मेरे लिए यह जरूरी हो गया था कि जो कुछ मैंने अंदर महसूस किया, उसको लिखूं। इसलिए मैंने ‘ट्रिब्यून’ तथा पंजाब केसरी’ में लिखने का विचार बनाया। इसके अलावा अन्य समाचार-पत्रों के आग्रह को भी स्वीकार किया। फिर ये मेरी सोच तथा चिन्तन का हिस्सा बन गये।
हर लेख को मैंने अपना दिल दिमाग एक करके लिखा। ऐसा करने के बाद मैंने ऐसे पक्षी की तरह महसूस किया जो उड़ने के लिए स्वतंत्र हो।
मेरे लेखों का दूसरों के लिए कितना महत्त्व है यह मैं नहीं जानती लेकिन जो कुछ मैंने देखा तथा सुना उसे मैंने लिखने की जरूरत महसूस की। ऐसा मैं आगे भी करती रहूंगी।

1
जनता की आशाओं का भाषण


हम अपने राजनीतिक नेतृत्व से किस प्रकार के भाषणों की उम्मीद करते हैं ? पर हमें उनसे क्या मिलता है ? विदेश नीति पर बयान, पड़ोसी देशों को धमकी या बेहतर सरकार, बेहतर शासन व व्यवस्था की बातें। क्या रोटी, कपड़ा और मकान जैसे ज्वलंत मुद्दे उनके भाषणों में शामिल होते हैं ? श्रोताओं के लिए क्या महत्त्वपूर्ण है—मंदिर या मस्जिद का मुद्दा या किस दल के ‘ए’ नेता किसी दल के ‘बी’ नेता ? आप अतीत में हुई चुनावी रैलियों पर नजर डालें, जहां लोगों को फिल्मी सितारों का मनोरंजन भरा कार्यक्रम देखने को मिला और उन्होंने जमकर तालियां बजाईं। कुछ जगहों पर आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं ने भी रैलियों को संबोधित किया। उनके पास जनता को कहने के लिए क्या था और वह भी किस आधार पर कितनी विश्वसनीयता के साथ, किसी को मालूम नहीं है। असल में इस देश में इस तरह की घटना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। सरकारी और राजनीतिक पद सरकार के खिलाफ काम करने वाले प्रमुख कारकों में से एक हैं। सत्ता और शक्ति के राजनीतिक ‘पद’ या ‘कार्यकाल’ को दूसरे शब्दों में अभिशासन और उसका प्रदर्शन या क्रियान्वयन भी कहा जा सकता है। फिर शासन के खिलाफ वोट और क्या ये नहीं साबित करता कि जनता ने प्रशासन के प्रदर्शन को नकारा है जिसके तहत संपूर्ण नौकरशाही की कार्यप्रणाली भी शामिल है।

जनता अच्छा प्रशासन चाहती है जो उसे अच्छी सेवा प्रदान करने में समर्थ हो। लोगों की परेशानियां दूर करें और उन्हें आंतरिक सुरक्षा प्रदान कर बेहतर भविष्य दे सके। इस सब के संदर्भ में वे एक अच्छा भाषण सुनना पसंद करती। वस्तुतः जनता अपने नेतृत्व से जैसा भाषण सुनना पसंद करती है उस भाषण को मैं अपने शब्दों में बांटने का प्रयास कर रही हूं। और हां, कही गई बातों पर अमल किए जाने पर खुशी होगी। मैं यहाँ भारत की जनता की ओर से अपेक्षित आदर्श भाषण उन विजयी नेताओं के लिए पेश कर रही हूं जो फिर चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे हैं।

‘‘मेरे देशवासियों’’ मैं आप सबको अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं आपको यह आश्वासन देता हूं कि मैं आपके चुनाव को सही साबित करूंगा। आपके लिए मैं हमेशा आपके साथ खड़ा रहूंगा और पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करूंगा। न सिर्फ उनको जिन्होंने वोट दिया है बल्कि उनके लिए भी जिन्होंने मुझे वोट नहीं दिया है। अब मैं आप सबके लाभ के लिए काम करूंगा। क्षेत्र की परेशानियों और मुद्दे ही मेरी प्राथमिकता होंगे। हम लोगों की सबसे विभिन्न स्तरों की प्राथमिक जरूरतें पता करेंगे और उस पर काम करेंगे। इसके साथ हम सब मिल कर उपलब्ध संसाधनों से इसे दूर करेंगे। मुझे अपने क्षेत्र के विकास के लिए दिए ‘मत’ को किस प्रकार खर्च करना है इसे भी आपके समक्ष रखूंगा जिससे आप जान सकें कि किस मद में खर्च जा रहा है। हम सब साथ मिलकर काम करेंगे जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पैसा सही जगह खर्च किया जा रहा है और हरेक को अधिकतम लाभ मिल सकेगा।

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